Wednesday, October 10, 2007

दरभंगा

पग पोखरि माछ मखानसरस बोल मुसकि मुख पानविद्या वैभव शांतिक प्रतीकललित नगर दरभंगा थीक...आई स पन्द्रह बीस साल पहिने जखन अहां दरंभगा में प्रवेश करितौह त अहि संदेश स अहांक स्वागत होयत॥ एहिमें कोनो संदेह नहि जे दरमंगा सही मायने में ललित नगर अछि...आई के भागदौड़ वाला जमाना में अखनो धरिएहिठामक लोकक चेहरा पर मुसकि देखय लेल मिल जाएत...चिंता फिक्र स जेतय मुक्त अहां के एतय के लोकमिलत...ओतय आओर कोनो ठामक नहि...आओर विद्या॥पढ़ाई लिखाई मे त दुनिया भर में अपन परचम लहराएरहल छथि...मुदा एहि ठामक लोकक एकटा कमी ई छैन्ह जे गाम घर॥मिथिलाक चौहद्दी स निकलाह के बादमिथिला- मैथिली के बिसैर जाइ छथिन्ह...राजा जनक के समय में भने मिथिलाक राजधानी जनकपुर में छल मुदा आई के समय में यदि कोनो शहरमिथिलाक राजधानी अछि त वो अछि॥दरभंगा॥दरभंगा महाराजक मुख्यालय दरभंगा मे छल...दरभंगा में महाराजक भवन के कहवाके की...भले राजा रजवाड़आब नहि रहलाह हुनकर भव्य-आलिशान महल आईओ अपन सीना तानने खाड़ अछि...दरभंगा महराजक महलके देखबाक लेल लोक सभ दूर दूर स एतय आबेत छथिन्ह...ओना कइटा भवन त आब देखरेख के अभाव में खंडहरमें बदलल जा रहल अछि...मुदा आईओ एकर भव्यता में कोनो कमी नहिं आइल अछि... एहि टामक लोक चाहैतछथिन्ह कि दरभंगा के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कएल जाय..अगर दरभंगा किला के देखल जाउ त ईदेखय में लालकिला स कम नहि लगैत अछि...जखन तक राजा महाराजा सभ छलाह राज परिसर के...महलके...किला के देखभाल नीक स होय छल मुदा आब ओ बात नहि रहल..राज खत्म भेला के बाद आब त राज भवनमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय आओर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ साथ कईटा दफ्तरखुलि गेल अछि...जे लोकनि राजक दौर में राज के भव्यता देखने छथिन्ह...आजुक हाल देख कय पीड़ा महसूस कयसकैत छथिन्ह..राज परिसर में बनल काली मंदिर..मनोकामना मंदिर दर्शनीय स्थल अछि...इंद्र पूजा के समयराज मैदान में दूर-दूर स लोक आबैत छलाह और अहि अवसर पर वो मंदिर के संगे महाराज के भव्य महल..किलाके देखनाय नहिं भूलैत छलाह..मुदा आब वो बात नहिं रहल...आब त लागैत छै जेना सब किछु अतिक्रमण के चपेटमें आबि गेल होय...मिथिलांचल के भव्य इतिहास के जानबाक होय त स्टेशन के बगल में बनलसंग्रहालय...म्यूजियम जनाय नहिं भूलब...ओना एहि म्यूजियम अगर अहां 15-20 साल पहिने गेल होयब आओरआई जाएब त फर्क साफ दिखाय पड़त..बहुत किछु नजर नहिं आयत...जे हो अगर हम सभ आईओ प्रयास करि तदरभंगा एक बेर फेर अपन पहिने वाला गरिमा अर्जित कए लेत एकरा में कोनो संदेह नहि....

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