Friday, October 12, 2007

नवरात्रि

आई सं देश भर में नौ दिन तक मनायल जाइ वाला शारदीय नवरात्र के शुरूआत भ गेल... शुरूआत जलयात्रा आ कलश स्थापन के साथ भेल...पितृपक्ष के बाद नौ दिन देवी के नौ स्वरुपक पूजा कएल जाइत अछि...प्रथम शैलपुत्री, द्वितीय नवरात्र ब्रह्मचारिणी देवी, तृतीय नवरात्र चंद्रघंटा, चतुर्थ नवरात्र देवी कुष्मांडा, पंचम स्कंदमाता, षष्ठ नवरात्र कात्यायनी, सप्तम नवरात्र कालरात्रि, अष्टम नवरात्र महागौरी आओर नवम नवरात्र में भगवती के सिद्धियात्री रूपक उपासना होयत अछि...
एहि साल देवी मां दुर्गा डोली पर आबैत छथिन्ह आओर प्रस्थान महिषी पर...लोक सभ अपन घर पर दुर्गा पाठ कए मंदिर में सेहो दर्शन करय लेल पहुंचि रहल छथि। नवरात्र के दौरान लोक सभ व्रत, पूजा पाठ करैत छथि...सात्विक जीवन बिताबय छथि... मांसाहारी खाना छोड़ि देवी मां के पूजा अर्चना करैत छथि...गाम घर में मंदिर सभ के खुब नीक सं सजायल जाइत अछि...कई तरहक कार्यक्रम सेहो होयत अछि...नाटक, गीत- नाच -गान सभ होयत अछि...ऑर्केस्ट्रा मेला-ठेलाक सेहो मजा मिलैत अछि...मंदिर सभ में भारी भीड़ उमड़ैत अछि...
दिल्ली में छतरपुर मंदिर, झंडेवालान मंदिर में विशेष भीड़ रहैत अछि...वैष्णो देवी मंदिर, कामाख्या देवी, ज्वाला देवी, विंध्या देवी मंदिर में नौ दिन तक पूजा अर्चना करल लेल लोकक भीड़ लागल रहत...गुजरात आओर कई जगह गरबा आओर डांडिया के धूम रहैत अछि... नवरात्र के नौ दिन पूजा पाठ त चलते अछि...खरीदारी सेहो खुब होयत अछि...दोकानदार सभ नव नव स्कीम... सेल सं लोकक के खरीदय के ऑफर दैत छथिन्ह...नवरात्र के दौरान लोक सभ दोसरो शुभ काज करैत छथिन्ह...

Wednesday, October 10, 2007

मैथिलीक पढ़ाई

मैथिलीक अपन गौरवपूर्ण इतिहास आओर समृद्ध साहित्य रहल अछि...अष्टम अनुसूची में एकरा स्थान मिल चुकल अछि। सरस आ मधुर मैथिलीक लेल सैकड़ों साल पहिने विद्यापति कहने छलथिन्ह देसिल बयना सभ जन मिट्ठा...मैथिलीक मिठास, भाषाक लोच अद्भुत अछि...लालू यादव के मुख्यमंत्री बनला के बाद सं मैथिली मातृभाषा के रूप में सिलेबस सं हटा लेल गेल...आब त मैट्रिक या कॉलेज में विद्यार्थी सभ तं मात्र ५०...१०० नंबर लेल एकरा एकटा विषयक रूपे रखि लैत छथि।ओना अगर कॉलेज, विश्वविद्यालय में पढ़ाई के रूप में देखल जाय त मैथिलीक पढ़ाई सभस पहिने कलकत्ता विश्वविद्यालय में १९१७-१९१८ में शुरू भेल....१९२५-२६ में बनारस में शुरू भेल...पटना विश्वविद्यालय में सेहो १९३७-३८ में मैथिलीक पढ़ाई शुरू कएल गेल... १९७२ में दरभंगा में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय बनला के बाद एहिठाम सेहो एकर पढ़ाई शुरू भेल...एखन बिहार झारखंड के सभ विश्वविद्यालय में मैथिलीक पढ़ाई भ रहल अछि...मिथिलाक संगहि मैथिलीक पढ़ाई नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय में होयत अछि.....बांग्लादेश के ढ़ाका विश्वविद्यालय में कवि कोकिल विद्यापति एकटा विषयक रूप में पढायल जाइत अछि...जकरा लेल मैथिली भाषाक ज्ञान जरूरी अछि...इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय में मैथिलीक पढ़ाई शुरू करबाक लेल प्रस्ताव भेजल सेहो गेल अछि।मुदा मैथिलीक प्रचार प्रसार के लेल मिथिलाक लेल संघर्ष करय वाला लोक सभ के ई बात पर ध्यान देबय पड़त कि मिथिलांचल में दोकानक, ऑफिसक बोर्ड, प्रचारक बैनर होर्डिंग मैथिली में होय एकर कोशिश कएल जाय...एहन कोशिश कएल जाय जे मैथिली भाषा में बेसी सं बेसी किताब सभ मार्केट में आसानी में उपलब्ध भ सकय।गीत-नादक कार्यक्रम बेसी सं बेसी भ सकय त आओर नीक.मैथिलीक विकास के शुरुआती तौर पर प्राकृत आओर अपभ्रंश केर विकास सं जोड़ि क देखल जाय अ...करीब ४-५ करोड़ लोक मैथिली के मातृभाषा के रूप में प्रयोग करय छथिन्ह...मैथिली के अपन समृद्ध इतिहास रहल अ...मैथिली के अपन लिपि अछि मिथिलाक्षर...आओर1965 में साहित्य अकादमी सं मैथिली के साहित्यिक भाषाक दर्जा मिलल। २००३ में एकरा संविधानक अष्टम अनुसूची में शामिल कएल गेल...मिथिलांचल केर बाहर सेहो कयटा विश्वविद्यालय में मैथिलीक पढ़ाई होयत अछि।मुदा करोड़ों लोकक बजनिहार होयबाक बादो एकर जे विकास होबाक चाहि नहिं भेल...राज्य राजनीति केर कारणे ई उपेक्षा के शिकार बनल रहल...स्कूल कॉलेज में एकर पढ़ाई कम भ गेल...मातृभाषा के रूप में ई पाठ्यक्रम सं हटा देल गेल...एकरा लेल सिर्फ राजनेते सभ के दोष नहिं देल जा सकय अ...मैथिल लोक खुद कम जिम्मेदार नहिं छथि...ओ अपन नुनु, बुच्ची के मैथिली नहिं पढ़ावय छथिन्ह...मिथिला में दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णिया, सहरसा कतौ चलि जाउ...अहां के अकटा अक्षर मैथिली में लिखल नहिं मिलत...कोनो बैनर, बोर्ड, होर्डिंग, विज्ञापन, पर्चा मैथिली में देखय के नहिं मिलत । एहि लेल की सरकार के दोष देल जाउ ? सवाल अई आखिर कहिआ तक मैथिली के आ हाल रहत ? एकरा अपन उचित सम्मान कहिआ मिलत? पढ़बा-लिखवा आओर बजबा में जे मैथिल सभ में उदासीनता आयल अछि ओकरा कि कलह जाय...ऑर्कुट पर तं कएटा मैथिल साफ साफ मना कए देला जे हमरा सं मैथिली में स्क्रैप नहिं करुं।ओना दिआ लक खोजलो पर शायदे कोनो भाषा मिलय जेहि में मैथिली सन मिठास होय...मैथिली तं प्रेम, प्यार केर भाषा अई...अहि में त हम ककरो सं जोर स बात तक नहिं कए पाबैत छी... गाम घर में कई बेर एहन देखबा के मिलल जे लड़ाई झगड़ा के समय जोर जोर सं बोलबा के क्रम में ओ हिंदी...अंग्रेजी पर चलि आबैत छथिन्ह...मैथिली में तं अहां झगड़ा कए नहिं सकैत छी...मैथिली के बारे में कइ लोक सं अहो सुनय के मिलल जे ई ब्राह्मण, कायस्थक भाषा अछि...ऐहन नहिं छै मुदा आम लोक ज्यादा सं ज्यादा एकरा प्रयोग में लयताह एकरा लेल जागरुकता लाबय के जरूरत छै...अलख जगाबय के जरूरत छै...जखन तक लोक में अपन भाषाक लेल प्यार, अनुराग नहिं देखबा में मिलत...एकर विकास संभव नहिं...ओना अष्टम अनुसूची में शामिल भेला के बाद एक बेर फेर सं हालात बदलय केर उम्मीद जागल अछि।हमरो सभके लिखय-पढ़य आ बाजय में बेसी सं बेसी एकर प्रयोग करय ।

जीतिया पावनि

मिथिलांचल में पावनि केर कोनो कमी नहिं अछि...मधुश्रावणी, बरसाइत, सामा चकेवा , चौरचन, कोजगरा, जूड़िशीतल ऐहन कतेक पावनि अई...मुदा गाम घर सं बाहर रहला पर कई बेर पता नहिं चलय छै...एहने में एकटा पावनि जितिया पिछला हफ्ता मिथिलांचल में मनाओल गेल...धार्मिक आस्थाक संगहि संग प्रकृति आओर सामाजिक रूप सं अहि पावनि केर खास महत्व अई...एहि पावनि में माय सभ अपन पुत्र...संतान के दीर्घजीवी होबय के कामना करैय छथिन्ह...एहि पावनि में मरुआ... माछ... साग... मिठाईक खास महत्व अई...नदी, पोखरक कात कथा सुनल जायत अछि...ओना जीतिया पावनि मनाबय के पाछा कथा छई जे एकटा राक्षस एकटा गाम में आतंक मचौने छल जकरा स श्रीकृष्ण जी जीमूत वाहन के रूप में अवतार लय रक्षा कएने छलथिन्ह...एहि पावनि में दिन राति सहय पड़य छै...उपवास करय पड़य छै...कहावत सेहो छै... जे जीतिया पावनि बड़ भारि...धिया पुता के ठोकि सुतलन्हि, अपने खयलन्हि भरि थारि।

बयान सं बवाल

जी कृष्णैया हत्याकांड में राजनेता सभ के मिलल सजा केर बाद गृहसचिव अफजल अमानुल्लाह के बयान स राज्य में खलबली मचल अछि...कृष्णैया मामला में फैसला आबिते गृह सचिव ई कहि सनसनी फैला देलाह कि सरकार के 21टा बाहुबली पर खास नजर अछि आओर जल्दीए हुनका सभ के ऊपर शिकंजा कसल जायत...आपराधिक पृष्ठभूमि वाला राजनेता आओर बाहुबली जिनका ऊपर शिकंजा कसल छनि हुनकर संख्या ४३ अछि...मुदा 21टा बाहुबली नेता पर खास नजरि अई जे हत्या केर मामला में फंसल छथि।२१ टा बाहुबली के संकेत देल गेल... खबर अई जे ओहि में प्रभुनाथ सिंह, सूरजभान सिंह, सुनील पांडे, शहाबुद्दीन, पप्पू यादव, राजन तिवारी, अनंत सिंह आओर रामा सिंह के नाम शामिल अई...मुदा गृह सचिव केर बयान के बाद जे बवाल शुरू भेल अछि...ओ शांत होबाक नाम नहिं ल रहल अछि...प्रभुनाथ सिंह त सभस बेस भड़कल छथि...हुनकर कहनाय छैन जे गृहसचिव के ई अधिकार के देलक जे ओ ऐहन बात करैत छथि...सरकार स हुनका हटावय के मांग सेहो शुरू भ गेल...सरकार सेहो परेशान अई...श्री अमानुल्लाह के माननाय छनि जे ई लोक मामला के लटकाबय के हरसंभव कोशिश करताह...कोनो हथकंडा अपना सकय छथि॥मुदा एहि मामला के राजनीतिक रंग लेनाय कारणे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहसचिव से बात करय पड़ल...मुदा श्री अमानुल्लाह के साफ कहनाय छैन जे कानून के डंडा देखते लोक सभ हुनका ऊपर आरोप लगा रहल छथि...जे होय गृह सचिव के बयान स राज्य के बाहुबली नेता सभ परेशान छथि...एहि तरहक कोनो शिकंजा कसल जाय अ त राज्य के लोक सभ चैन स सांस ल सकताह...मुदा राजनीतिक गणित ऐहन होयछ जे आगा कि होयत किछु नहिं कहल जा सकय अ...किएक त कएटा नेता के पीछा बड़का वोटबैंक जुड़ल छैन।

टीवी जर्नलिज्म

ऑर्कुट पर एकटा मित्र के स्क्रेप आयल कि इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में केना आयल जाय आओर ई की छै एकरा बारे में किछु बताउ...हमरा विचार सं एकरा बारे में ब्लॉग पर बतयनाय बेस नीक होयत... किएक त एहि बारे में आओर लोक के सेहो पता चलि जैतन्हि...आई काल्हि मीडिया में सभस तेजी सं बढ़य वाला किछु अई त ओ अछि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...टीवी जर्नलिज्म...पहिने त दूरदर्शन आ आकाशवाणीए छल... मुदा आब त ऐहन हाल छे जे चैनलक बाढ़ि आबि गेल ...न्यूज़ चैनल देखल जाय त आजतक, स्टार न्यूज, इंडिया टीवी, एनडीटीवी, आईबीएन ७, जी न्यूज़... आओर सहारा समय टीआरपी में ऊपर रहय वाला चैनल अई...ई त भेल हिन्दी वाला अंग्रेजी में एनडीटीवी २४/७ , सीएनएन आईबीएन, टाइम्स नॉउ, प्रमुख अई...एकरा अलावा सीएनबीसी आवाज, जी बिजनेस, एनडीटीवी प्रॉफिट, मेट्रो नेशन, तेज, सहारा समय एनसीआर, मुंबई, उत्तर प्रदेश/ उत्तराखंड, बिहार/ झारखंड, मध्यप्रदेश/ छत्तीसगढ़, ईटीवी, टोटल टीवी, एस वन, एमएचवन जैसन दर्जनों चैनल अई...आओर जल्दीए बीएजी, त्रिवेणी, आईएनएक्स, सहारा समय के उर्दु, राजस्थान आओर पंजाब चैनल आबय वाला अछि।जखन एतेक चैनल आबि रहल छै त लोकसभ के सेहो राखि रहल छै...एहि कारणे एहि चैनल सभ में रोजगार के अवसर सेहो ढेर-ढाकि छै...एकरा लेल विज्ञापन आबय के इंतजार करय के सेहो जरूरत नहिं...सीवी...बॉयोडाटा ल क चैनल सभ में कनि दौड़ धूपि करिऔ...सफलता मिलत...इलेक्ट्रानिक मीडिया में ज्यादातर लोक एंकर या रिपोर्टर बनय लेल आबैत छथि... मुदा एकर संख्या सीमित रहय छै... एंकर, रिपोर्टर के अलावा बहुत किछु आओर छै जकरा में हाथ अजमाइल जा सकय छै...आओर ऊ सभ परदा के पीछा होयत अछि...आम लोक के ओकरा बारे में ज्यादा पता नहि होयत छनि...एहि मे प्रोडक्शन असिस्टेंट, असिस्टेंट प्रोड्यूसर, प्रोड्यूसर, सीनियर प्रोड्यूसर, कैमरामैन...साउंड, विजन, डायरेक्शन, मेकअप सं लSक गेस्ट कॉर्डिनेशन तक के जॉब मिलैत अछि...अहां जेहि में लगाव अछि...काज के लेल अप्लाई क सकय छी...मुदा एहन नहिं होयत कि कतउ सं अयिलौं आ नौकरी के लेल अप्लाई कय देलौंह...एकरा लेल अहांक के पहिने से जानकारी होबाक चाहि... या त अहां पहिने से पेपर...अखबार में काम कएने होय या ओकरा लेल रिपोर्टिंग कएने होय...तखनो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आबय लेल कोनो मास कम्यूनिकेशन संस्थान सं डिप्लोमा या डिग्री कोर्स क लेल जाय त बेस नीक...कोर्स के लेल नाम लिखयबाक लेल कम स कम बीए होबाक जरूरी छै...आब त कइटा टीवी चैवल वाला सेहो ट्रेनिंग संस्थान खोलि लेलक अ... मीडिया ट्रेनिंग के लेल सभस नीक संस्थान अई भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी)...आओर जामिया ...एकर अलावा सैकड़ों संस्थान डिप्लोमा, डिग्री कोर्स कराबय छै...इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अहां दु भाग में देखि सकय छी...एडिटोरियल आओर टेक्नीकल में...एडिटोरियल में सेहो इनपुट आओर आउटपुट होइत अछि...एहि में अहां रिसर्च, प्रोग्रामिंग के सेहो रखि सकय छी...इनपुट के लोक बाहर सं खबर मंगयबा पर ध्यान दै छथिन्ह...ओ सदिखन रिपोर्टर सभ स सम्पर्क में रहैत छथिन्ह...स्टोरी प्लान करय छथिन्ह...शॉट्य सभक जोगाड़ करय छथिन्ह...आओर आउटपुट वाला फील्ड स आयल न्यूज के प्रसारण लायक बनाबय छथिन्ह... स्टोरी के केहन मोड़ देबय के छई... ओकरा पूरा स्टोरी बनाबय के छई या ग्राफिक्स देबय के छई...सिर्फ खबर पढ़ि क कनि शॉट्स देखयबाक छै या ओकरा विशेष रुप देबय के छै... सभ आउटपुट के तय करय पड़ैछ...स्टोरी के स्क्रिप्ट तैयार भ गेला के बाद ओकरा एडीटिंग के लेल भेजय पड़ैत अछि...वीडियो एडीटर ओकरा शॉट्स...बाइट लगाक इफेक्ट द तैयार करय छथिन्ह...एकरा बाद पीसीआर(प्रोडक्शन कंट्रोल रुम) में स्टूडियो डायरेक्टर, स्वीचर, साउंड इंजीनियर, टीपी सभ के लोक रहैत छथिन्ह...स्टोरी ...प्रोग्राम में नव जीवन देबय लेल ग्राफिक्स डिजायनर, प्रोग्रामर सभ रहैत छथिन्ह...एकरे साथ एमसीआर...इंजेस्ट डिपार्टमेंट होयत...यानी सिर्फ रिपोर्टर एंकर के जॉब नहिं अहां दोसरो लेल अप्लाई क सकय छी...आ एहि क्षेत्र में अपन पैर जमाबय चाहय छी त कैमरा...डायरेक्शन...एडीटिंग...एनीमेशन...ग्राफिक्स के पढ़ाई के एहि में अपन भाग्य अजमा सकय छी... एहि लेल यदि एंकर...रिपोर्टिंग में नहिं होय त निराश होय के जरूरत नहिं छै...स्क्रिप्ट राइटिंग स लक एडीटिंग...कैमरा तक बहुत किछु छै जाहि लेल अहां पढ़ाई कए सकैय छी...अप्लाई क सकय छी आओर काज क सकय छी.

प्याजक दाम


प्याजक दाम आसमान छू रहल अछि...एकर बढ़ल दाम सं लोकक आंखि सं एक बेर फेर लोर खसय लागल अई...दिल्ली में त प्याज ३० रुपए किलो तक बिक रहल अछि...महीना दिन पहिने एकर दाम १० सं १५ रुपए किलो छल... दिल्लीए नहिं देशक सभस बड़का प्याजक मंडी नासिक में सेहो प्याज किल्लत भ गेलय अ...पानि सं प्याजक नवका फसल के नुकसान पहुंचल अ आओर पुरनका स्ट़ॉक सेहो खत्म होय वाला छई...ऐहन में जखन तक दोसर ठाम सं नवका स्टॉक नहिं आयत , कमी बनल रहत। ओना एहि स जुड़ल लोक के कहनाय छैन जे एहि बेर प्याज पिछला बेर स ज्यादा उपजल अ...भ सकय अ २०-२५ दिन में कर्नाटक, महाराष्ट्र आओर राजस्थान सं नवका खेप अयला पर दाम में किछु कमी आबय...मुदा एकर दाम बेर- बेर नहिं बढ़य एकरा लेल सरकार के ठोस आओर दीर्घकालीन नीति बनाबय के जरूरत अई... किएक त २०-२५ दिन बाद जे होय अखन त लोर निकलिए रहल अछि...एकर दाम पर राजनीति सेहो होयत आइल अ...कई बेर त एकरा लक सरकार तक गिर चुकल अई...ओना रमजान आओर पूजा के महीना में लोकक गुस्सा नहिं फूटय एकरा लेल दिल्ली सरकार के त कई ठाम प्याज बेचय लेल स्टोर खोलय पड़ल अ।

आनंद मोहन के सज़ा

तेरह साल पहिने...४ दिसम्बर १९९४ के बाहुबली विधायक मुन्ना शुक्ला के बड़ भाई छोटन शुक्लाक हत्या क देल गेल छल...एकर अगिला दिन ५ तारीख के मुजफ्फरपुर के खबरा में हत्याक विरोध में हजारों लोक शव लक सड़क पर उतरि गेलाह...हत्या के लक ओहि समयक लालू सरकार के खिलाफ लोक में बड़ गुस्सा छल...सरकार...प्रशासन के खिलाफ नाराबाजी करैत भीड़ आगा बढ़ि रहल छल...कि संयोग देखियौ तखने गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया मुजफ्फरपुर सं मीटिंग कए हाजीपुर दक लौटि रहल छलाह...भीड़क लोक सभ ई कहैत हुनकर गाड़ि पर टूटि पड़क कि छोटन शुक्ला के हत्या प्रशासनक मदद सं भेल अछि...हुनका घेर क हत्या कए देल गेल...१३ साल चलल अदालती लड़ाई के बाद फैसला आइल...सात लोक के दोषी मानल गेल...जहि में भीड़क नेतृत्व करय वाला पूर्व सांसद आनंद मोहन के फांसी के आओर हुनकर पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद के उम्रकैद केर सजा सुनालय गेल...बाहुबली विधायक मुन्ना शुक्ला के उम्रकैद के सजा सुनाइल गेल...फैसला के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कएल जा सकय अ...फांसी के सजा होय के बाद आनंद मोहन के गांव सहरसा के पंचगछिया में गमक माहौल बनि गेल...हुनका घर पर लोकक तांता लगि गेल...आसपास के इलाका में आनंद मोहन के बड़ प्रभाव छैन...हिनकर दादाजी स्वर्गीय रामबहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी छलाह आओर परिवार के कई लोक आजादी के लड़ाई में भाग लेने छथिन्ह.