Wednesday, October 10, 2007
दही-चूड़ा-चीनी
भोर में दफ्तर जाइ के धरफरि...दफ्तर पहुंचवा में एको मिनट देर भेल की आफत... नाश्ता तैयार नहिं आब कि कएल जाउ... ऐहने समय में काज आइल अपन मिथिलाक चूड़ा दही आओर चीनी...अहां एकरा मिथिलांचलक फास्ट फूड कही सकैय छी...एहि में कोनो संदेह नहि जे ई कोनो पिज़ा बर्गर...चाउमीन स फास्ट और पौष्टिक अछि...गाम में रहैत छलहुं त दही, चूड़ा- चीनी छल मुदा दिल्ली अएला के बाद ई चूड़ा -दही- चीनी में तब्दील भ गेल...ओना आब गामों में सेहे भ गेल छई...दूधक दिक्कत भ गेल छई...ओना आब गाम गाम में सुधा के दूध पहुंच लागल अछि...मिथिलाक ई फास्ट फूड में सबस बड़का खूबी ई अछि जे अहां के किछु खास नहिं करय के जरूरत अछि...बस पात बिछाऊ...चूड़ा-दही-चीनी राखू...साथ में जौं हरिहर मिरचाई...नून आओर अचार होय त की बात...शुरू करु आओर तृप्त भ जाउ...एहि में नहिं चुल्हा भूकए के झंझट नई सब्जी काटय बनाबय के परेशानी...बस चूड़ा-दही चीनी सानु और भ जाउ शुरू... पचयों में कोनो झंझट नहिं...चूड़ा-दही-चीनी में सबस बजका बात अछि जे ई पिजा बर्गर आ चाउमीन जका महंगा नहिं अछि...की गरीब...की अमीर सबके प्रिय भोजन अछि...एहि स नीक फास्ट फूड आओर की भ सकैत अछि...चूड़ा-दही-चीनी पर आदरणीय हरिमोहन झाजी अपन खट्टर काकाक तरंग में खूब लिखने छथिन्ह...सही मायने में हुनकर लिखल ई ग्रेट रचना अछि...रजो-तमो गुण में रमि जाउ...भोज-भात होय आ कतो जा रहल छी...बस पोटरी में चूड़ा-चीनी बान्हि लिअ...दही ल लिय...चलि दिअ...एहि स बन्हिआ पनिपिआई आओर की होयत...रास्ता में सेहो एहि स पवित्र की मिलत...आखिर ई ओहिना सालक साल स मिथिला के प्रिय आहार नहिं अछि...त अहुं भ जाउ तैयार जखन होई जल्दी में बस दू मिनट में चूड़ा-दही के आनंद ल काम पर चलि दिअ...
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